दोस्तों शास्त्री जी ने पूछी है एक ऐसी पहेली जिसका न कोई सर है न पैर ....
फिर भी कोई सज्जन इसका उत्तर जनता हो तो बताये ..
जवाब छाप दिया जायेगा ...
नाम बताने की जरुरत नहीं है ...
अगर आप चाहते है कि आपका नाम छापा जाये तो
अपने नाम से उत्तर दे अन्यथा
बेनामी बन कर जवाब दे दे
फिर भी कोई सज्जन इसका उत्तर जनता हो तो बताये ..
जवाब छाप दिया जायेगा ...
नाम बताने की जरुरत नहीं है ...
अगर आप चाहते है कि आपका नाम छापा जाये तो
अपने नाम से उत्तर दे अन्यथा
बेनामी बन कर जवाब दे दे
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और अगर पहेली ऐसी ही होती है तो मेरी पहेली का भी जवाब दे
बताईये इस स्थान का नाम क्या है ????????
11 टिप्पणियाँ:
बंटी जी एक जगह पहाड़ो से घीरी वादिया है। जो कही की भी हो सकती है।
और दुसरी जगह मनमोहक छाये आसमान और हरियाली की हैं वो भी कही का भी हो सकता है।
वाह श्रीमान जी आपकी पहेली तो शास्त्री जी से मुकाबले की पहेली है। आपने नहले का उत्तर दहले में दिया है।
कोई तो ऐसी पहेली हो, जिसे पहेली ही रहने दिया जाए. इस दिशा में यह पोस्ट सदैव उल्लेखनीय सा दरजा पा सकती है.
ek ullu ne paheli hai , koyi ullu hi jawaab dega
aisi chutiyapanti wali paheli ye shastri bewkoof hi poochh sakta hai.
यहाँ का उत्तर बता सकते हो महाशय-http://i555.blogspot.com/2010/11/4_14.html
ye to jawahar lal nehru hai
shastri sahab sathiya gaye hain yah paheli chitr usee ka udaharan hain,
kam se kam banti chor ke chitr ko save kar ke desktop par laga sakte hain lekin shastri sahab ke chitr ka wo bhi str nahin.
बंटीं के धुंवे छुट गए, बने फिरते है चोर
छोले खाए है कभी
नहीं फिर क्या चोरी करेगा
और क्या मुकाबला करेगा मयंक जी के ज्ञान का तेरा तो खींच दिया
शाबास इन टुच्चों का सही जूतम माला किया पंडित जी
तेरी टूच्ची हरकतों से उल्लू बंटीं , ओरों का भी मज़ा खराब हो गया पहेलियों का
@Surendra Singh Bhamboo जी,
आपकी बातों से कुछ हद तक सहमत है हम भी
पहाड़ बेशक पूरी दुनिया में है! मगर पहाड़ों के बीच में भी कुछ सफेद रंग का है!
शास्त्री जी पहाडो के बीच में जो दिख रहा है वो या तो बादल है या ग्लासियर , होने को तो ये भी पूरी दुनिया में होते है .... आपकी तस्वीर में कोई स्थान भी तो दिखाई देना चाहिए था पर आपने तो सिर्फ बदलो और बादलों की फोटो लगा दी ...
और निसंदेह इस का क्लू भी आप के ब्लॉग से ही जुदा होगा .... हर बार क्लू में सिर्फ उत्तराखंड का नक्शा दिखा देने से काम नहीं चलता शास्त्री जी
इस बात का भी अंदाजा है कि ये टिपण्णी प्रकाशित नहीं होगी ... बंटी चोर को नीचा दिखने के चक्कर में अपनी पहेलियों का स्तर न गिराए
आप हाथी कि चाल चलिए ... कुत्तों को भोकने दीजिए ..
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1. टिपण्णी देने में आप जैसे चाहे शब्दों का इस्तेमाल कर सकते है,
आप अपनी भड़ास यहाँ पर निकाल सकते है ...
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2. आप अपनी बात कहे, आपके द्वारा इस्तेमाल की गयी भाषा ही
आप का चरित्र उजागर करती है ...
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3. आप लोगो से जैसी भाषा की उम्मीद करते है उसी भाषा में
अपनी बात कहे ...
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4. Modration लगाने से आपकी कही बात दुसरो की समझ की
मोहताज ही जाती है ...
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5. असभ्य भाषा की तिप्प्निया हटा दी जाएँगी यदि किसी को
कोई आपत्ति हो तो ..
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6. Modration लगाने का फैसला आप के द्वारा किये गए कमेन्ट
पर निर्भर करता है ...